5 Simple Techniques For karj mukti upay
वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं।कर्ज के चलते व्यक्ति अपने जीवन के स्वर्णिम समय को भी अच्छे से जी नहीं सकता।
बिना जरूरत के उधार या लोन लेने से बचें।
महालक्ष्मी मंदिर में जाकर पीले चावलों से माता रानी को अपने घर आने का निमंत्रण दें। इसके बाद दीवाली के दिन मां लक्ष्मी का आवाह्न कर उनका विधि विधान से पूजन करें।सुबह जल्दी उठकर पीपल को कुमकुम और चावल चढ़ाएं और मन में प्रार्थना करें कि मेरी समस्या का समाधान कर दें। साथ ही पीपल पर दूध मिला हुआ जल चढ़ाएं और घर लौट आएं।भगवान-विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे बैठकर अपनी परेशानी बताएं। साथ ही केसर का दान करें। समस्या का समाधान होने पर उस मंदिर में प्रसाद चढ़ाएं।अपने घर के बाथरूम में गहरे रंग का टाइल्स ना लगवाएं। बाथरूम में खड़ा नमक जरूर रखें। बाथरूम के द्वार पर फिटकरी बांध दें। इसको करने से घर में गृह क्लेश नहीं होते।
इन्द्रजाल द्वारा घर में शांति और प्यार
मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बजरंगबली को जरूर अर्पित करना चाहिए। साथ ही, इस प्रसाद को मंदिर के पास बच्चों में भी जरूर बाटें। इस उपाय को हर मंगलवार के दिन शाम के समय करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और जीवन से नकारात्मकता दूर जाने लगती है। मान्यता है कि मंगलवार को हनुमानजी को बूंदी का प्रसाद चढ़ाने से जीवन में सकारात्मकता आती है और व्यक्ति के घर-परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है। श्रद्धा पूर्वक इस उपाय को करने से जातक को भगवान हनुमान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
कर्ज मुक्ति के लिए लाल किताब के अचूक उपाय
पटनालालू यादव की तस्वीर के सामने हाथ फैलाए तेज प्रताप, बोले- अंधेरा जितना गहरा होगा, सुबह उतनी ही नजदीक होगी
कभी-कभी गलत समय पर ऋण लेने के कारण या किसी अन्य कारण से, यह व्यक्ति को चुकाने के लिए भारी हो जाता है, लाख चाहने के बाद भी, वह समय पर ऋण चुकाने में असमर्थ होता है, जिस पर कर्ज बहुत अधिक बढ़ जाता है और कई बार, उसका पूरा जीवन कर्ज चुकाने में ही समाप्त हो click here जाता है।
क्रोध और जल्दबाजी से निर्णय न लें। मंगल दोष में ये आदतें भारी पड़ती हैं।
मंगलवार को शराब, मांस और प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
जिसके कारण उन्हें दूसरों से कर्ज लेना पड़ जाता है. कभी-कभी कर्ज इतना ज्यादा चढ़ जाता है कि उसे...और पढ़ें
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणरोगादिदारिघ्र्यं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।